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स्वांग बना छलिये फिरें बैठे जटा बढ़ाय / शिवदीन राम जोशी
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स्वांग बना छलिये फिरें बैठे जटा बढ़ाय,
भेष बना साधु तणा मांस मछलिया खाय।
मांस मछलियां खाय शराबी बन कर डोलें,
बाजेगें वही सिद्ध गजब की बोली बोलें।
विप्र छांडी बैठे करम बन कर चोर लबार,
शिवदीन भजन बिन क्या बने डूबेगें मझधार।
राम गुण गायरे।