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स्वागत कथन / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग

सोचने-समझने का चक्कर बेकार
बकवास!
क्यों डूबे हो ख़यालों में, सोच में
एक बात दिमाग़ खोलकर सुन लो
फिर चाहे सिर धुन लो।

तुम जिनके बारे में
सोच-सोचकर परेशान हो,
जिसका अधः पतन तुम्हें सालता है,
जिनकी पीड़ाओं का भागीदार बनना
तुम अपने जीवन का लक्ष्य मानते हो
वे तुम्हें बेवकूफ़ समझते हैं।

जिनके विषय में सोचने में
तुम्हारे मस्तिष्क की शिरायें
हर समय तनी रहती हैं
उन्होंने, हाँ उन्होंने ही
अपने चिन्तन पर तालाबंदी कर रखी है
आख़िरी बार सिर्फ
अपने बारे में सोचो-
क्या तुम्हारे सिर पर
अब भी किसी पैग़म्बर का भूत सवार है?