स्वागत / आरती तिवारी
नई सदी का स्वागत
इस विश्वास के साथ
नष्ट हो जायेगा वो कूड़ा करकट
जो सड़ाता रहा
सभ्यता के,विराट खजाने
जीवाश्म बन चुकी
दफ़्न अनेक ज़िंदा देहों के
काले इतिहास को भुला
हम सबक लेंगे
स्वागत करेंगे उस सदी का
जिसमें नही रोयेगी नदी
जिस्म में समेटे कलुष
हमारे अपशिष्टों का
हम स्वागत करेंगे
उस सदी का
जिसमे पहाड़ों की
कराहें न शामिल हों
सुराखों से छलनी ह्रदय पहाड़
नही गाते हों
उत्पीड़न का विदारक गान
जंगलों में नही उतरता हो
हरीतिमा विहीन मटमैला सा उजाला
हिरणियों की कुलांचे विहीन
खरगोशों की दौड़ रहित
डरावने दृश्य नही होते हों जहाँ
हाँ हम स्वागत करेंगे उस सदी का
जहाँ बच्चे जा रहे होंगे स्कूल
कोखों में अंगड़ाइयाँ लेंगी
नन्ही कोंपले
स्त्री मुस्कुराएगी सचमुच में
बिना किसी लाचारी के
हम स्वागत करेंगे
उस नई सदी का