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स्वागत / मुकुटधर पांडेय
Kavita Kosh से
स्वागत, हे सुन्दर सुकुमार
आओ, हृदय-मार्ग से मेरे
प्रियतम प्राणाधार
आओ हे घनश्याम उदार
आओ, साथ उषा के आओ
किरणों के मिस कर फैलाओ
विकसित अमल-कमल बन जाओ
पहनो मुक्ताहार
आओ हे घनश्याम उदार
सरस बसन्तानिल सरसाओ
सावन घन-बनकर नभ छाओ
शरदाकाश-विलास दिखाओ
चारु-चन्द्रिकागार
आओ हे घनश्याम उदार
आओ भावसरित बन धाओ
हृदय स्थित सब कलुष बहाओ
तन-मन-नयन मध्य भर-जाओ
मोहन छवि आधार
आओ, हे घनश्याम उदार
समन्वय, 1920 में महाकवि निराला के आग्रह पर प्रकाशित