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स्वेदगंगा - 1 / विंदा करंदीकर / रेखा देशपाण्डे

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भागीरथी के दर्शन
और पापों का परिमार्जन,
गंगातट पर कतिपय सज्जन
शाम सुहानी आते
और करते रहते भाषण ।

'सब नदियों में शुभकर गंगा'
एक ने कहा, बोला दूजा —
'गंगा से भी स्वर्गंगा सुन्दर'
यूँ ही बोला तीजा इस पर
'लोप हो गई तीजी गंगा ।'

बेजा बकबक, प्रचार नंगा
ज़हरीले शब्दों का दंगा
लोप कहाँ से ? सुनो, सज्जनो !
उमड़-घुमड़ती तीजी गंगा ।

मराठी भाषा से अनुवाद : रेखा देशपाण्डे