हँसते हँसते तेरी दुनिया से चले जायेगे
पर ये सच है की तुझे याद बहुत आयेगे
खाक़ से उट्ठे इसी खाक़ में मिल जायेगे
ढूंढने वाले हमें ढूढ़ नहीं पायेगे
जिंदगी हद्द से गुज़र जाए तेरे ज़ुल्म ओ सितम
अपने लब पर कभी फ़रियाद नहीं लायेगे
क्या किसी को मैं बताउंगी उदासी का सबब
ज़ख्म जो सूख गए हैं सभी छिल जायेगे
मैंने छोड़ा ही नहीं सब्र का दामन अब तक
एक दिन अश्क़ मेरे हक़ मेरा दिलवायेगे
इक नज़र देख ले मुड़ के वो हमारी जानिब
दिल के मुरझाये हुए फूल भी खिल जायेगे
ग़र ज़बां खोली तो खुल जाएगा हर राज़ तेरा
और जो ख़ामोश रहे बेवफा कहलायेगे
आपको हम कभी रुसवा नहीं होने देगे
आपके सर की कसम आप ही मिट जायेगे
सोच कर आज सिया मुझको हंसी आती है
बदनुमा लोग मुझे आईना दिखलायेगे