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हँसते हुए विदा दी / रणजीत

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कोई पूछ रहा था मुझको
वापस फिर कब तक आओगे
कोई मुस्काकर कहता था
भूल तो नहीं हमें जाओगे
इंतज़ार में था कि कहो तुम भी कुछ
लेकिन
दिल से उमड़ उमड़ कर भी
वे बोल तुम्हारे निकल न पाये
हँसते हुए विदा दी सबने
तुमने अपने नयन छिपाए।
मेरे साथ साथ सब घर के
पहुँचाने आए बाहर तक
किसी तरह तुम भी आई थी
कोई करने लगे नहीं शक
और विदा के हाथ सभी ने उठा दिये पर
हाथ तुम्हारे काँप-काँप रह गए,
नहीं उठ पाये
हँसते हुए विदा दी सबने,
तुमने अपने नयन छिपाए।

मुझे पता है छिपा-छिपा कर
घरवालों से, तुम रोओगी
दूरी की धरती को सींच नयन के
जल से, मिलन-बीज बोओगी
समझ रहा था तब भी सजनी
भीतर का संघर्ष तुम्हारा
रोक रही थी तुम अंतर का नीर
अभी से ढुलक न जाये
हँसते हुए विदा दी सबने,
तुमने अपने नयन छिपाए।