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हँसने को वो कहेंगे तो मुस्कुरा लेंगे। / पल्लवी मिश्रा
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हँसने को वो कहेंगे तो मुस्कुरा लेंगे।
दिल में गम होगा भी तो हम छुपा लेंगे।
उनको भाता नहीं है अश्क मेरी आँखों में,
अश्क तन्हाई में कभी हम बहा लेंगे।
गर कभी हमको वो कुछ देना चाहें,
हम तो पत्थर का इक आईना लेंगे।
रूठने पर भी जब न वो मनाएँगे,
हारकर खुद को खुद ही मना लेंगे।
दुश्मन भी अगर राह में मिल जाएगा,
दिल मिले या न मिले, हाथ मिला लेंगे।
हर ख्वाहिश, हर तमन्ना किया कुर्बां जिनपर,
कुछ तो उनसे भी मुहब्बत का सिला लेंगे।