हँसी खोजता हूँ खुशी खोजता हूँ।
नई ज़िन्दगी की जड़ी खोजता हूँ।।
मिले गर किसी को ज़रा भेज देना।
बची ज़िन्दगी फुलझड़ी खोजता हूँ।।
मिलूंगा नहीं अब किसी से कहीं भी।
मिलूं गर कहीं वह घड़ी खोजता हूँ।।
नरक ज़िन्दगी हो गई है हमारी।
खुदा से वही फिर लड़ी खोजता हूँ।।
उबारुँ इसे किस तरह अब बताओ।
कुँए में डुबा हूँ कड़ी खोजता हूँ।।
निराशा बढ़ी है अहद से हमारा।
मगर आशरा में छड़ी खोजता हूँ।।
ग़ज़ल क्या सुनाऊँ ग़ज़ल खुद बना हूँ।
अहिब्बा सभी में अरी खोजता हूँ।।