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हँसी / कुंदन सिद्धार्थ

बहुत कुछ कहती है
भरोसा जगाती हँसी
 
एक बेपरवाह हँसी गढ़ती है
सुंदरता का श्रेष्ठतम प्रतिमान

अर्थ खो देंगे
रँग, फूल, तितली और चिड़िया
एक हँसी न हो तो
 
हँसी से ही
सम्बंधों में रहती है गर्मी
 
नींद कैसे आयेगी हँसी के बिना
प्रेम का क्या होगा?
 
हँसी को तकिया बनाकर
सोता है प्रेम