भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हँसो हँसो सब फूल कह रहे / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हँसो हँसो सब फूल कह रहे
चिड़िया गाने को कहती।
तोता राम-राम रटता है
तितली उड़ने को कहती
भौरे प्यार सिखाते सबको
चीटीं श्रम कर लो कहती।
झूम झूम कर गंध बांटती
हवा झूमने को कहती।
लालन उठ जाओ तुम जल्दी
इनकी बातें सुना करो
हँसो सदा तुम गाना गाओ
राम नाम भी लिया करो
भौरे प्यार सीखते हैं तो
करना प्यार सदा सीखो।
अपने यश की गंध बांटकर
जीवन जीना तुम सीखो।