♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
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हंसि हंसि देवकी नहाओल हंसि गृह आवोल रे ललना रे करु वसुदेव स सलाह कि काज सफ़ल हायब रे
पहिल सपन देवकी देखल पहिल पहर राती रे ललना रे छोटी मोटी अमवा के गाछ फ़रे फ़ुल लुबधल रे
दोसर पहर राती बीतल दोसर पहर राती रे ललना रे सुन्दर बांस बीट फ़ुटि क पसरल रे।
चारीम पहर राती बीतल सुन्दर सपना देखु रे सुन्दर बालक अवतार गोदी खेलावन रे
यह गीत श्रीमती रीता मिश्र की डायरी से