भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हंस करना नेवास अमरपुर में / भीखम राम
Kavita Kosh से
हंस करना नेवास अमरपुर में।
चलै ना चरखा, बोलै ना ताँती
अमर चीर पेन्है बहु भाँती।। हंसा.।।
गगन ना गरजै, चुए ना पानी
अमृत जलवा सहज भरि आनी।। हंसा.।।
भुख नहीं लागे, ना लागे पियासा,
अमृत भोजन करे सुख बासा।। हंसा.।।
नाथ भीखम गुरु सबद बिवेका
जो नर जपे सतगुरु उपदेसा।। हंसा.।।