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हक़ीक़त / खेलो ना मेरे दिल से
Kavita Kosh से
रचनाकार: ?? |
खेलो ना मेरे दिल से, ओ मेरे साजना
मुस्कुरा के देखते तो हो मुझे, ग़म है किस लिये निगाह में,
मंज़िल अपनी तुम अलग बसाओगे, मुझको छोड़ दोगे राह में ,
प्यार क्या दिल्लगी, प्यार क्या खेल है
खेलो ना ...
क्यूँ नज़र मिलाई थी लगाव से, हँसके दिल मेरा लिया था क्यूँ ,
क्यूँ मिले थे ज़िन्दगी के मोड़ पर, मुझको आसरा दिया था क्यूँ
प्यार क्या दिल्लगी, प्यार क्या खेल है
खेलो ना