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हक हमारा छीन कर कुछ दान कर देते हैं वो / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
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हक़ हमारा छीन कर कुछ दान कर देते हैं वो
हम ग़रीबों पर बड़ा एहसान कर देते हैं वो
साफ़ सुनने की जहाँ भी कोशिशें करते हैं हम
बस वहीं बहरे हमारे कान कर देते हैं वो
बाँटते हैं रौशनी ईनाम में कुछ आपको
और कुंठित आपका ईमान कर देते हैं वो
उनके क़िस्से , उनकी बातें, उनके सारे फ़लसफ़े
आदमी को दोस्तो हैवान कर देते हैं वो
क्यूँ यहाँ हर रास्ते पर आज ट्रैफ़िक जाम है
पूछ ले कोई अगर चालान कर देते हैं वो