भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हजमा धीरे-धीरे कैंची तोँ चलबिहें / मैथिली लोकगीत
Kavita Kosh से
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हजमा धीरे-धीरे कैंची तोँ चलबिहें
बौआ नञि कनबिहें ना
देबौ सूप भरि चाउर, ओइमे पांच टका निछाउर
हजमा बाबा जी सँ गैया तोँ खोलबिहें
बौआ नञि कनबिहें ना
देबौ सूप भरि चाउर, ओइमे दस टका निछाउर
हजमा नाना जीसँ महिंस तों खोलबिहें
बौआ नञि कनबिहें ना
देबौ सूप भरि चाउर, ओइमे बीस टका निछाउर
हजमा बाबूजी सँ घड़ी तो खोलबिहें
बौआ नञि कनबिहें ना