हज़ारों कीजिएगा आप कारोबार दुनिया में / धर्वेन्द्र सिंह बेदार
हज़ारों कीजिएगा आप कारोबार दुनिया में
मुहब्बत का मगर करना नहीं व्यापार दुनिया में
यकीं कीजे बड़ी बे-रंग होती दोस्तो दुनिया
नहीं होता अगर रंगीन इतना प्यार दुनिया में
तेरी नज़रों से पीते हैं हज़ारों जाम उल्फ़त के
नहीं शायद कोई हमसे बड़ा मय-ख़्वार दुनिया में
दिवाने पार कर जाते दिलों की सरहदें सारी
अगर होती नहीं ये मज़हबी दीवार दुनिया में
भले मज़बूत हों कांँधे भले कमज़ोर हों कांँधे
उठाना ही पड़ेगा ज़िंदगी का भार दुनिया में
सरासर झूठ छपता है जहाँँ के मीडिया में अब
सदाक़त छापता है क्या कोई अख़बार दुनिया में
सुनो ऐ हुक्मरानो अब कोई तो काम दो इनको
पढ़े लिक्खे बहुत हैं नौजवांँ बेकार दुनिया में
गुमांँ मत कीजिए 'बेदार' दौलत और शोहरत का
बिताने हैं तुझे भी दिन फ़क़त दो चार दुनिया में