पुरखे चाव से गाते थे
गीत नैसर्गिक सौन्दर्य के
बर्फ़ के, फूलों के,
चांद के, पवन के,
नदियों और कुहरों के,
पर्वत मालाओं के
रचने चाहिए गीत हमें आज
फ़ौलाद ढले
और जानने चाहिए कवियों को भी
हमला करने के पैंतरे
पुरखे चाव से गाते थे
गीत नैसर्गिक सौन्दर्य के
बर्फ़ के, फूलों के,
चांद के, पवन के,
नदियों और कुहरों के,
पर्वत मालाओं के
रचने चाहिए गीत हमें आज
फ़ौलाद ढले
और जानने चाहिए कवियों को भी
हमला करने के पैंतरे