हड़ताल का गीत / ब्रजमोहन
जब तक मालिक की नस-नस को हिला न दे भूचाल...
ज़ारी है हड़ताल हमारी, ज़ारी है हड़ताल
न टूटे हड़ताल हमारी, न टूटे हड़ताल
हम इतने सारों को मिल ये गिद्ध अकेला खाता
और हमारे हिस्से का भी अपने घर ले जाता
हक़ माँगें हम अपना तो ये गुण्डों को बुलवाता
हम सबका शोषण करने को चले ये सौ-सौ चाल —
ज़ारी है...
सावधान ऐसे लोगों से जो बिचौलिया होते
और हमारे बीच सदा जो बीज फूट का बोते
और कि जिनके दम पर अफ़सर मालिक चैन से सोते
देखेंगे उनको भी जो हैं सरकारी दल्लाल —
जारी है...
सही-सही माँगों को लेकर जब हम सामने आए
इसके अपने सगे सिपाही बन्दूकें ले आए
जाने अपने कितने साथी इसने ही मरवाए
लेकिन सुन लो अब हम सारे जलकर बने मशाल —
ज़ारी है...