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हत्यारों का अखबार / सुरेश कुमार शुक्ल 'संदेश'

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जीवन के मरूथल को नूतन आँसू का शृंगार दिया है।
सघन घटाओं ने फिर मुझको पीड़ा का उपहार दिया है।

व्यंग्यशरों-सी लगती बूँदे जल उठता है मन का उपवन
छहक उठी हरकली कि सावन ने ही मधुर निखार दिया है।

द्रोपदियाँ निर्वसन हो रही सत्ता के इन रनिवासों में
मधुर हास चाहिए जिन्हें उन अधरों को अंगार दिया है।

बिटिया की शुभ ब्याह वार्ता शुरू हो चली है अब घर में
उसके हाथों में दहेज हत्याओं का अखबार दिया है।

जीव सृष्टि के संविधान का रचनाकार चतुर कितनी है?
परिणामों को रखा पास बस कर्मों का अधिकार दिया है।