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हत्यारों के सिर पर नहीं होते सींग / गोविन्द माथुर
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हत्यारे विदेशों से आयातित नहीं होते
न ही हत्यारों के सिर पर होते हैं सींग
हत्यारे नास्तिक नहीं होते
ईश्वर होता है
हत्यारों की मुट्ठी में बंद
धर्म ग्रन्थ होते है उनके हथियार
हर हत्या के बाद
उनकी आँखों में होते है आँसू
हत्यारे होते है दानवीर
हर हत्या के बाद लुटाते है स्वर्ण मुद्राएँ
हत्यारे वहाँ नहीं होते
जहाँ होती है हत्या
हत्यारे सदैव होते है हमारे आसपास
हत्यारे पहचाने नहीं जाते
हत्यारे हमारे सामने से
गुज़र जाते है हाथ बांधें
हम नतमस्तक रहते हैं
हत्यारों के प्रति