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हत्या के पीछे / नवीन सागर
Kavita Kosh से
लड़ाई से पीठ फेरे
जिंदगी का हर काम धंधा बना दिया
अपना अंधा पक्ष लेकर
अंधकार फैलाते हैं
बेचते और खरीदते हुए
लोगों के खून से सने हाथ
अपने समर्थन में लहराने लगे
बच्चों को वापस बुला लिया
गलियों से
हिंसा की ठंडी सभ्य लाइब्रेरी में
दफना दिया
जो जितना पढ़ा लिखा है
वह हत्या के पीछे
उतना ही प्रच्छन्न है.