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हथियार / कुमार मुकुल
Kavita Kosh से
पड़ा रहने दो उन्हें
अंधेरे कोनों में
तुम्हारी स्याह होती दुनिया में
जब भी
संशय की कोई आँख उगेगी
हाथों में ढाढ़स की तरह आएगा वह
हाथ में लेते हुए
उसे नहीं
खुद को तोलोगे तुम
जितनी कड़ी होगी
संशय की भाषा
उतनी ही ज़ोर से बोलोगे।