हथेली पर जान हऽ / गुलाबचंद सिंह ‘आभास’
1
देश इ प्रताप के हऽ, शिवा सुभाष के हऽ
बापों के बाप के हमार हिन्दुस्तान हऽ
लाल बाल पाल के हऽ, मगध बंगाल के हऽ
मेरठ मेवाड़ के हऽ, जहाँ राजस्थान हऽ।
देश ह हमीद के, शेर खाँ फरीद के
मन्दिर मस्जिद के, शहीदन के शान हऽ।
जामल बा पूत के, दूत यमदूत के
जेकरे सपूत के हथेली पर जान हऽ॥
2
घात न लगावऽ तू, आँख न गड़ावऽ तू
साँचे बतावऽ, तोहार काशमीर हऽ ?
भूल गइलँ देवता के, दोस्ती के नेवता के
शिमला समझौता के, तोहरे जागीर हऽ ?
सूरत खूबसूरत के, माई के मूरत के
देश के जरूरत के इहे तस्वीर हऽ
देश के लिलार हऽ, सरग बहार हऽ
हमार हऽ हमार हऽ, हमार काशमीर हऽ
3
ढ़ेर गरमइबऽ तू, ताक, तरनइबऽ तू ?
आँख जे देखइबऽ त, पंखा कबार लेब
बढ़ बढ़के बहकऽ मत, रह र हके सहकऽ मत
ढ़ीबरी अस भभकऽ मत, ककरी अस फार देब
साँप अस अइँठऽ मत, हमरा में पइठऽ मत
हिस्सा लेइ बइठऽ मत, शेखी सब झार देब
मारब हम घेर के, दीया ले हेर के
सीमा पर फेर से “बटालियन बिहार” देब
4
कर मत खट पट तू, अट पट त बोलऽ जनि
धइ धई मलपट हम झटपट मरोड़ देब
चूर चूर चूरा अस मूँगर हम धूर देब
मार कनपटिये, कपार हम फोर देब
आँत हम फार देब, दाँत सब झार देब
मारब मँगासे, पीठासे के कोड़ देब
झपटी जवानी, लुकइबऽ चुहानी
पानी बचावऽ ना त पानी में बोर देब