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हथौड़ा / मोहन साहिल
Kavita Kosh से
पत्थर पर हथौड़े की
और हथौड़े पर पत्थर की
बराबर होती है चोट
जाने क्यों टूटता है हर बार
पत्थर ही नहीं देखा कभी
टूटते हुए हथौड़ा।