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हमको ये जहां-दादा बुज़ुर्गों ने कहा / रमेश तन्हा

 
हमको ये जहां-दादा बुज़ुर्गों ने कहा
पैसों का नहीं गुरुर अच्छा होता
हमने मासूमियत से पूछा फिर क्यों
हर कोई पुकारता है पैसा पैसा