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हमको रोको न कोई पीने से / ज़ाहिद अबरोल
Kavita Kosh से
हमको रोको न कोई पीने से
दर्द सा उठ रहा है सीने से
हम पियें और हम को होश न हो
होश आता है हम को पीने से
ज़िन्दगी मौत से भी बदतर<ref>अधिक बुरी</ref> है
बाज़ आए<ref>तौबा करना</ref> हम ऐसे जीने से
आपका हुस्न इक क़ियामत<ref>महाप्रलय</ref> है
पूछिये जा कर आबगीने<ref>दर्पण</ref> से
सौ ग़मों का इलाज होता है
एक जाम-ए-शराब पीने से
लाख तूफ़ान-ए-ग़म भी हार गए
क़ल्ब<ref>दिल</ref> -ए-“ज़ाहिद” के इक सफ़ीने<ref>जहाज़</ref> से
शब्दार्थ
<references/>