आप दुःखी हैं
मेरे मन की नदी में नहाकर
और मैं
सुखी हूँ
आपके कैक्टस को
दिल से लगाकर।
क्या खूब हैं आप और हम
आपको है गम
हमको है जीने का दम
रचनाकाल: ११-१०-१९६५
आप दुःखी हैं
मेरे मन की नदी में नहाकर
और मैं
सुखी हूँ
आपके कैक्टस को
दिल से लगाकर।
क्या खूब हैं आप और हम
आपको है गम
हमको है जीने का दम
रचनाकाल: ११-१०-१९६५