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हमखो न अखिया दिखाओ मोरे सैया / बुन्देली
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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हमखों न अंखिया दिखाओ मोरे सैयां।
दइजे में तुमने रुपये गिना लये,
रुपया गिना के कायको बिकाय गये।
अब खरी-खोटी न सुनाओ मोरे सैयां। हमखों...
दइजे के धन पे बने पैसा वारे,
छैल छबीले बने बाबू प्यारे
रौब कछु न जमाओ अब सैयां। हमखों...
चूल्हा न करहों चौका न करहों
बासन न करहों पानी न भरहों
कौनऊ नौकरानी लगाओ मोरे सैयां। हमखों...
सुनतई मुरझा गई शैखी तुम्हारी
बरछी सी लगे जे बतियां हमारी
रोटी बना के खबाओ न सैयां। हमखों...