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हमने एक-दूसरे को सांत्वना देने के लिए नहीं चुना / नीलोत्पल

मैं लोगों से मिलता हूँ, उनकी आवाज़ सुनता हूँ
उनमें घुलता हूँ
फिर शुरू होता है अनकहा सिलसिला
वह बात जो असंभव से आरम्भ हुई
या किसी अप्रत्याशित घटना की तरह
खुलने लगती है

मैंने देखा
हिचकिचाता रहा हूँ जब-जब भीतर गया
वहाँ कुछ नहीं था
कुछ भी नहीं होना
उन झरी पत्तियों के जैसा, जिसे चुने जाने की ज़रूरत
हर तरह से ख़ारिज़ हो चुकी हो

झरी पत्तियां जब भी हाथ आतीं
अहसास होता दर्द का
जैसे कोई छोड़ गया है अपनी उदासी का गीत

लोगों को चुनना
झरी पत्तियों की तरह नहीं था
मैंने उन्हें चुना अपने लिए
अपनी उदासी, अकेलेपन और निराशा के बीच
भरोसे, प्रेम और गीतों के बीच

हम सहमत नहीं थे कई जगहों पर
एक-दूसरे को लालच और फ़ायदे के लिए इस्तमाल करते
ऐसा भी होता हम झगड़ लेते

अंततः
हमने एक-दूसरे को
चीज़ों, हालातों या सांत्वना देने के लिए नहीं चुना

हम एक-दूसरे को चुन नहीं रहे थे
हम हो रहे थे एक-दूसरे के
अपनी-अपनी आज़ादी और हदों के साथ