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हमने जितनी बार पुकारा / केदारनाथ अग्रवाल
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हमने जितनी बार पुकारा
- दीवारों पर पाहन मारा
हिला न डोला मौन तुम्हारा
- टूटा केवल दुर्ग हमारा ।