हमने तन्हाई में जंज़ीर से बातें की हैं,
अपनी सोई हुई तक़दीर से बातें की हैं।
तेरे दीदार की क्या ख़ाक तमन्ना होगी,
ज़िन्दगी भर तेरी तस्वीर से बातें की हैं।
मौत के डर से मैं खामोश रहूँ, लानत है,
जबकि जल्लाद की शमशीर से बातें की हैं।
कै़स की लैला या फरहाद की शीरी कह लो,
हम नहीं राँझा मगर हीर से बातें की हैं।
‘रंग’ का रंग ज़माने ने बहुत देखा है,
क्या कभी आपने बलवीर से बातें की हैं।