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हमरा एखन आर बेसी जीबाक अछि / दीप नारायण

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हमरा लग एकटा पुरान किताब अछि
ओहि मे फूल अछि एकटा बड़ पुरान

सुखाए गेल अछि फूल
चोकटि कारी स्याह भ' गेलैक अछि ओकर गात-गात

किताब केँ बचौने छल फूल
आ फूल केँ किताब, परस्पर
एक-दोसरा केँ बचौने रहबाक सोन्हाउन गमक
घोरि रहल अछि
नहुँ-नहुँ जीवन मे

निरवधि समयक नुकाएल एकटा सपना
मैलमुँह पन्ना सँ उपटि
दूभिक मूड़ीपर अड़कल ओसक बुन्नीक बरोबरि
ज्योति
चुबैत अछि हमर चेतना मे
आ सभ्यताक नेहाइपर पिटाइत
हमर बासि देह मे
ब्रहाण्ड बनि पसरि जाइत अछि

जखन पघिलैत अछि इतिहास
वर्तमान मे बड़ गहीँर धरि देखाइत अछि टघार

गढ़ाइत प्रेमक अकथित व्याकरण
हमर लेखनी सँ टघरल अछि
एखन किछु शब्द
हम दु:ख केँ बचाय केँ रखलहुँ
आ दु:ख हमरा

हम फेकब नहि सुखाएल फूल
हमरा एखन आर बेसी जीबाक अछि।