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हमरा की गंगा से काम / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'
Kavita Kosh से
हम्में तेॅ दूधऽ रऽ धोलऽ
हमरा की गंगा सें काम
हमरऽ बारजन टेंगरा-पोठिया
देखत्हैं पार करै छी लोटिया
गाला-गाली, उटका-पैंची
थुक्कम-फजीहत हमरे काम-हमरा...
बातें-बातें टांग अड़ावौं
चामें देखी आँख गड़ावौं
छीना-झपटी, उट्ठा-पट्टक
बलात्कार के हमरे काम-हमरा...
लाजें की हमें चूकै छी
चामो के थैला बूकै छी
पटना-दिल्ली केॅ के पूछै
काशी-मथुरा चारो धाम-हमरा...
ई कलयुग के देवता हम्में
घुसखोरी के नेता हम्में
हम्में खटमल खून चूसै छी
मक्खी-मच्छड़ हमरे नाम-हमरा...
हमरे देहें नाजे-नाज
हमरा की छै खुजली-खाज!
कनखी-मटकी पहरा हमरऽ
रोख मजूरी, चोखऽ काम-हमरा...
हम्में की करौं मनमानी
कन्हौ की केकर्हौ परशानी
हम्में ई युगऽ के रक्षक
ईटा हमरऽ सुन्दर काम-हमरा...