हमरा खोजेॅ / कस्तूरी झा 'कोकिल'
आगिन खोजॅ, पानी खोजॅ, खोजॅ पिया आकाश में,
धरती के कण-कण में खोजॅ, खोजॅ हवा बताश में।
नैहरा, ससुरारी केॅ लोगें उपरेॅ से अयते देखने छौ
हुन्हीं बतैथिन हे मोर सैयॉ कहाँ-कहाँ केॅ रखनै छौं।
पीछवैने अयलेह मोर बालम तहूँ सिमरिया घाट जीं
करतें करतें याद एक दिन मिलथों तोरहै बाट जी।
हम्मे तोरे प्राण पियारी, तोंही हमारॅ प्राण जी।
मिलबे करबै एकदिन दोनों, देखतै, सकल जहान जी।
इन्तजार में रहॅ हमेशा एक दिन सच्चे अयभों जी,
कहाँ-कहाँ धूमी केॅ अयलिहौं, सम्मे साफ बतैभों जी।
जनम-जनम के प्रियतम हमरेॅ, तोरा केनाँ भूलैभौं जी
आँखीं में राखी केॅ हरदम, तोरा केनाँ भूलैभौं जी
आँखीं में राखी केॅ हरदम, बाहीं सदा झुलैभौं जी।
नैं काँनों नैं लोर चुआबॅ, मानोॅ हमरॅ कहना जी
उठॅ नहाबॅ गोॅन बहलाबॅ, खौहिहॅ साथैं खाना जी।
ब्रह्ममा विश्णु महेश मनैबै मिलबै करबै पूजा जी
अमर प्यार हमरा दोनहूँ के कभी नहीं छैदूजा जी।
20/3/15 प्रातः साढ़े छह बजे।