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हमरा घर सावन, तोहरा घर फागुन / सतीश्वर सहाय वर्मा ‘सतीश’
Kavita Kosh से
हमरा घर सावन, तोहरा घर फागुन!
हमरा घर बदरी, तोहरा घर पाहुन!!
तीसी के नील रंग बोरल नजरिया
सरसों से पियराइल लहरे चुनरिया
हमरा घर पतझर, तोहरा घर गुनगुन!
हमरा घर सावन, तोहरा घर फागुन!!
बारहो महीना ई मेघ लरज बरसे
कहीं जोर झुलुहा के, कहीं गरज तरसे
हमरा घर बँसवारी, तोहरा घर रुनझुन!!
हमरा घर सावन, तोहरा घर फागुन!!
जुग ई जमाना में प्रीत बहुरुपिया
छाँह भइल झाँझर बा रोज बढ़त धुपिया
हमरा घर राह सून, तोहरा घर सुनगुन!!
हमरा घर सावन, तोहरा घर फागुन!!