भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमरा नै धोॅन चाही सेठ साहूकार केनें / अनिल शंकर झा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमरा नै धोॅन चाही सेठ साहूकार केनें
बोॅल चाही नागराज हाथ में उठाय केॅ।
हमरा नें रूप चाही काम के लुभाय के नै
बनी नृपराज कहीं हुकुम जताय के।
हमरौं नै नाम हुबेॅ अग-जग पार आरो
हमना नै ज्ञान चाही मुनि केॅ लुभाय के।
जबतक रहौ काव्य सरिता में बहौ
रस रसें रसें पियौ सुध-बुध बिसराय के॥