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हमरा प्रान का झोली में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’

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हमरा प्रान का झोली में
अतना कुछ तूं जरूर भर देले बाड़ऽ
कि अगर अबहिएँ हमार मृत्यु हो जाय
त हमरा तनिको खेद ना होई।
रात दिन
ना जानीं जे कतना दुख आ कतना सुख में,
ना जानीं जे कतना किसिम के स्वर
हमरा हृदय में उमड़वले बाड़ऽ?
ना जानीं जे कतना किसिम के भेस ध के
हमरा घर में प्रवेश कइले बाड़ऽ
ना जानीं जे कतना किसिम के रूप बनाके
हमरा हृदय के हरन क ले ले बाड़ऽ
अगर अबहिए हमार मृत्यु हो जाय
त तनिको हमरा खेद ना होई।