हमरे अगनवा में तुलसी को बिरछा / बुन्देली
हमरे अगनवा में तुलसी को बिरछा,
घन तुलसी की छाँह हो रम्मा।
जा तरैं बैठे लड़लड़ी के आजुल
सो जाये जो बोली आजी हो रम्मा।
गठियन सम्भर बाँधो राजा आजुल
सो नातिन कों घर वर ढूँढौ हो रम्मा।
अग्गिम ढूँढे आजुल पच्छिम ढूँढे
सो ढिग धर ढूँढे फिरे गुजरात हो रम्मा।
एक न ढूँढी नगर अजुद्धा
जहाँ वर चतुर सुजान हो रम्मा।
हमरे अगनवा में...
जा तरैं बैठे लडऋलड़ी के बाबुल
सो जायें जो बोली मैया हो रम्मा।
गठियन सम्भर बाँधो राजा बाबोला
सो धिया को घर वर ढूँढो हो रम्मा।
अग्गिम ढूँढे बाबुल पच्छिम ढूँढे।
सो ढिग धर ढूढ़ फिरे गुजरात हो रम्मा।
एक न ढूँढी नगर अजुदा जहाँ वर चतुर सुजान हो रम्मा।
हमरे अगनवा तुलसी...
गठियन सम्भर बाँधों मोरे जेठे पूत
सो बहिना को घर वर ढूँढो हो रम्मा।
अग्गिम ढूँढों वीरन पच्छिम ढूँढों।
सो ढिक धर ढूँढ फिरे गुजरात हो रम्मा।
जाये जो पहुँचे वीरन नगर अजुद्धा जहाँ वर चतुर सुजान हो रम्मा।
हमरे अगनवा में...