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हमरोॅ अंगदेश छै महान, जेकरोॅ माटी ऊर्जावान / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
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हमरोॅ अंगदेश छै महान, जेकरोॅ माटी ऊर्जावान
चम्पानगरी यही देशोॅ में, आरो दानी कर्ण महान।
जहाँ गूँजै छै बिहुला गाथा, जानै छै सकल जहान
वासुपूज्य के यहेॅ धरती, अइलै महावीर बुद्ध भगवान।
चानन, चीर, बडुआ, किउल दझिण दिशा बहै छै
कोसी, गंडक, गंगा गरजै, कल-कल धुन सुनावै छै।
उत्तरवाहिनी गंगा के जल शिवजी के मन भावै छै
विश्वप्रसिद्ध सरावणी मेला सबके दिल हरसावै छै।
वैद्यनाथ, बासुकीनाथ, अजगैबीनाथ, बटेश्वरनाथ
अंगधात्री, कात्यायनी, सिंहेश्वर, जेठौरनाथ आरू बूढ़ानाथ।
एतना नाथ यही देशोॅ में तेय्योॅ छै अंगिका अनाथ
सब्भैं मिलि केॅ जोर लगावोॅ अष्टम सूची में अंगिका साथ।