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हमरोॅ आजादी / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'

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खुल्लम-खुल्ला ई आजादी
अपनऽ रूप संवारै छै
जेकरा चाहै जन्नें चाहै
मौत के घाट उतारै छै।

केकरो साया, केकरो चोली
केकरो देह उघारै छै
बलात्कार-अपहरण के आगू
के-के कहाँ नकारै छै।

ई घुसखोरी सर पर नाची
उलटे टांग पसारै छै
थुक्कम-फजीहत, उटक-पैंची
के नाय यहाँ सकारै छै।

डेगे-डेगे बाँटे-बखरा
छौंकी बात बघारै छै
नून-तेल हरदियो मसाला
रगड़ी सर हंकारै छै।

जन्नेॅ देखऽ, जन्नेॅ चाहऽ
सगठॅ आय ललकारे छै
केकरा कौनें ई आफत सें
कौने कहाँ उबारै छै।