हमरोॅ गुमार / गुरेश मोहन घोष
की करैलेॅ अैभेॅ हिन्न?
भोटो देलिहौं जितबे करल्हेॅ, मोॅर मिनिस्टर बनबे करल्हेॅ,
धुरदा देॅ नै चलयौं गाड़ी, डाँडी डाँड़ी अैभेॅ किन्नेॅ?
दखल करै छेॅ देबोॅक थान, सी. ओ. थाना छेॅ हैरान,
धान तैयारी लूटी लेलकोॅ जज्झौ केॅ नै मानेॅ हिन्नेॅ।
सांपें काटेॅ बिसहर मैय्यो, घाव घोंस पपहोरोॅ थान,
जोगिन माय भगैथीन हैजा, बैदौ के कोय काम नै हिन्नेॅ।
मोॅन भरी तेॅ बोॅन कमैलाँ, रहतोॅ नै एक चुटकी धान,
बच्चा बुतरू हकन करै छेॅ, रीन चुकैबोॅ किन्नेॅ किन्न?
सत्तू खाय केॅ मांगी चन्दा, बालै पढ़ै-नै मिलै धन्धा।
जेकरै ठन-ठन, ओकरै दन-दलन, अन्हारोॅ हाकिम हेरेॅ कि हिन्नेॅ?
पैसो नै छेॅ भेजी बाँका, की पढ़ैबोॅ बेटी हम्में?
जैती हाय स्कूल केना केॅ? बुलै लफंगा हिन्नेॅ हुन्नेॅ।
जन्है जा हजार गिनाबेॅ, बेटी लेॅ बाजार घुमाबेॅ,
फटलोॅ लूंगा बिन साया के, मौगी के कभात हर दिन्नेॅ।
मुखिया होयलेॅ दियेॅ जान, कर बसूली सब जलपान,
आँख मुनी केॅ टुक-टुक ताकोॅ, जे अैथौं बैमान छौं हिन्नेॅ।
सुनै छेलौं सब दिनोॅ सें, धनसेठोॅ केॅ डाकू भारेॅ,
लंगड़ोॅ-लुल्होॅ सबकेॅ तारेॅ, लोखड़ गमछा छिन्नेॅ हिन्नेॅ।
हर महीना चीनी दै छोॅ, जोड़ी केॅ परसेन्टोॅ लै छोॅ,
बिन चीनी के मनै दिवाली, भरल बोरा जाय खै किन्नेॅ?
बोरिंग पर बिजली के खम्भा, बिलली नैहें बड़ी अचम्भा,
पूजा बाकी दैखना पैन्हैं, जलरोॅ जाय छेॅ जन्नोॅ हिन्नेॅ।
कथीलेॅ तो अैभेॅ हिन्नेॅ; नै आबोॅ तांे नें आबोॅ,
कानी कानी हमें हँसै छी, भागौ केॅ धरलें छेॅ जिन्नेॅ।
ऐभेॅ मांगेॅ भोटे फेनू, तखनी धरभौं दोनो कान,
कैगालोॅ में चूना देभौं, यै गालोॅ में काली हिन्नेॅ।
जात-पात के बात भुलैलौं, जात-पात के याद दिलाय छोॅ?
गद्दा खातिर जात गमाय छोॅ! फेंकी देभौं गिरभेॅ हुन्नेॅ!
डर नै दिल्ली नायक जी, की करभेॅ विधायक जी पु
कान धरौं दारोगा बाबू, कैसें पकड़ी लेभेॅ किन्नेॅ?
भीतरे भीतर हुअड़ौं खोजौं, रोज जवाहर गाँधी केॅ।
जाँघै पर तों ताल बजाबोॅ, ताक धिना-धिन धिन्नक धिन्नेॅ।