भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हमरोॅ राज बिहार छै भारत के सिरताज। / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
Kavita Kosh से
हमरोॅ राज बिहार छै भारत के सिरताज।
सबसें प्यारोॅ देश में, विश्व करै छै नाज।।
विश्व करै छै नाज जहाँ बहै पावन गंगा।
कोशी, गंडक, सोन करै धरती केॅ चंगा।।
कहै छै ‘राम’ रेणु, सुधांशु सपूत जेकरोॅ।
दिनकर, ‘सरल’, महेश, ‘सुरो’ छेकै कवि हमरोॅ।।