मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हमरो बलुम जी के नामी-नामी केश छनि
से जुलुम करै ना
ना रे अँउठिया केशबा, जुलुम करै ना
हमरो बलमु जी के बड़ी-बड़ी अँखिया
से जुलुम करै ना
ना रे, मारै तिरछी रे नजरिया, जुलुम करै ना
हमरो बलमु जी के पातर-छितर ठोर छनि
से जुलुम करै ना
ना रे, छोड़ै मुसकी रसिकबा, जुलुम करै ना
हमरो बलमु जी के सँइतल जीह छनि
से मन भाबै ना