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हमरो बाबाजी के चारों खंड अँगना / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हमरो बाबाजी के चारों खंड अँगना, चहुँ दिसि लगल केबार हे।
ओहि<ref>उसी</ref> खंभ ओठँगल<ref>उठेगी, सहारा लेकर बैठो</ref> बेटी दुलरइती बेटी, बाबा से मिनती हमार हे॥1॥
काहाँ तोंहे बाबा पयलऽ<ref>पाया</ref> गजदाँत हथिया, काहाँ पयलऽ गजमोती हार हे।
काहाँ तोंहे पयलऽ डँटहर<ref>डंटीदार, ताजा</ref> पनमा, काहाँ पयलऽ राजकुमार हे॥2॥
राजा घर पयली बेटी गजदाँत हथिया, पैसारी<ref>पंसारी, सिन्दूर, नमक, हल्दी तथा विविध मसाले बेचने वाला बनिया</ref> घर गजमोती हार हे।
बरियाहि<ref>बारी, तमोलो, पान बेचने तथा पत्तल सीने वाली एक जाति</ref> पइली डँटहर पनमा, देस पइसी<ref>पैठकर</ref> राजकुमार हे॥3॥
कइसे के चिन्हबऽ बाबा गजदाँत हथिया, कइसे के गजमोती हार हे।
कइसे तों चिन्हबऽ बाबा डँटहर पनमा, कइसे के राजकुमार हे॥4॥
खरग<ref>बड़े दाँत</ref> से चिन्हब गजदाँत हथिया, झलक<ref>चमक, आभा</ref> से गजमोती हार हे।
डंटिया से चिन्हब डँटहर पनमा, पोथिया पढ़इते राजकुमार हे॥5॥

शब्दार्थ
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