भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हमरो मड़ैया ऐलै, सद्गुरु आज हे / छोटेलाल दास
Kavita Kosh से
॥स्वागत-गान॥
हमरो मड़ैया ऐलै, सद्गुरु आज हे।
अपूछ अमान छेलाँ, बढ़ि गेलै नाज हे॥टेक॥
सकल सुभाग भेलै, खुशी के समाज हे।
घर अइलै जबसें संत सिरताज हे॥1॥
कि करब सखी हम, स्वागत के साज हे।
किछुओ नैं जानौं हम, आदर के राज हे॥2॥
परम उदार संत, गुरु महाराज हे।
भूल-चूक माफ करि, राखि लेतै लाज हे॥3॥
‘लाल दास’ बनि जैतै, अब सब काज हे।
गुरु सेबि पैबै सखी, प्रभु-पद राज हे॥4॥