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हमर गीत / गौतम-तिरिया / मुचकुन्द शर्मा

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गीतकार ही गीत लिखो हो तोरे ले
गीत लिखो ही हम समाज के जोड़े ले
गीत लिखो ही सबसे करे ले प्रीत हम
गीत लिखो ही भुलवे ले हम सब के गम
गीत लिखो ही खेत और खलिहान के
गीत लिखो ही हम मौसम के गान के
गीत लिखो ही तड़के भोर विहान के
गीत लिखो ही हम सच्चा इंसान के
हमर हाथ में बनल कलम अंगार हे
हमर गीत हे नाव चढ़ल जे धार हे
हमर गीत से मचल भाय सगरो हलचल
हमर गीत के सुनको नय रहिहा अविचल
गीत हमर सोना में मिलल सोहागा हे
हमर गीत तो डिनामाइट के धागा हे
हम लिखलों हे जीते ले, नै हारे ले
हम लिखलों हे तोरा सबके तारे ले
हम लिखलों दुश्मन के छाती चीरे ले
हम लिखलों हे डूबे बलाके तारे ले
हमरगीत गंगा हे हिन्दुस्तान हे
हमर गीत में पूरा भरल तुफान हे
दुश्मन साफ करे ले ई हथियार हे
सीमापर के फौजी ले तलवार हे
हमर गीत दुखियारा सबके दर्द हे
द्रुपदा के दुकूल हे जे बेपर्द हे
हमर कलम में बड़का भारी ताकत हो
हमर गरीब के मानी उहे लियाकत हो
हमर गीत बुतरू सबके उसकावे हे
हमर गीत से सबके दूर जनावे हे
करवो सीमापर के भंडाफोड़ हम
जात-पांत आतंक के देवो तोड़ हम
हमर गीत तो पूरा हिन्दुस्तान हय
हिन्दू सिख ईसाई मुसलमान हय
हमर गीत तो एक करम के मानोहय
हमर गीत जनता के बोलो हय जय जय
हम लिख लों हें शोषक सबके जारे ले
हम लिखलों हें कूड़ा सभ बुहारे ले
हम लिखलों हें सबके भूख मिटावे ले
हम लिखलों हें नया जमाना लावे ले।