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हमर बगिया में खिलल ऐसन फूल / सिलसिला / रणजीत दुधु

हमर बगिया में खिलल ऐसन फूल
जे सउँसे धरती के महँका रहल हे।

धुआँ रहल हल जे परेम के चिनगारी
दिल में ओकरा लहका रहल हे।

बढ़ल बगिया के शान, हर कली पे गुमान
जे भी गुजरे राही, बन जाय मेहमान
हावा गुजरे जे ओकरा छू-छूट के
बउरा के सबके बहका रहल हे।

तितली नाचे लगल भउँरा गावे लगल
चान तारा देख देख लजावे लगल
माली सेवा कइलक एतना जतन से
हर कली के उ तो चहका रहल हे।

चान के चँदनिया सूरूज के किरिनिया
नाचे लगल मिलके मोरवा मोरिनिया
छा गेल ऐसन सब पर नशीला उमंग
धरती गगन के भी उमका रहल हे।

हमर बगिया में खिलल ऐसन फूल
जे सउँसे धरती के महँका रहल हे।