भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमसफर / उमा अर्पिता

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमें हमसफर भी मिला
तो वो, जो
दो कदम भी साथ न चल सका…
चल न सका या
चलने से डर गया...!

हमें हमदर्द भी मिला
तो वो, जो
दो पल भी दर्द न बाँट सका…
दर्द बाँट न सका
या बाँटने से घबरा गया...!

हमें हमराज भी मिला
तो वो, जो
दिल से दिल की बात न कर सका…
बात कर न सका
या सच बोलने से डर गया...!