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हमसभ विराजित छी जतऽ एहि जगहकेर बड़ नाम छै / बाबा बैद्यनाथ झा

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हमसभ विराजित छी जतऽ एहि जगहकेर बड़ नाम छै
एतऽ काव्य-गंगा बहैत छै सभ तीर्थ तेऽ एहि ठाम छै

प्रेम-आराधक एतऽ सभ ज्ञानकेर सभ पारखी
एहिठाँ रहैछ लक्ष्मी सदा आ सरस्वतीकेर धाम छै

ई भीड़ जे उमड़ल एतऽ-जन-जागृतिक संकेत थिक
माँ-मैथिलीक सौभाग्य जे विधि भेल दहिन, ने बाम छै

मोनमे दबल जे बात हो सभ मिलि एतऽ बाहर करू
दिल खोलि गप्प कऽ ली एतऽ ई सरस लोकक नाम छै

होयत हमर सौभाग्य जँ तँ भेँट पुनि होयबे करत
नहि तँ बुझू जे आखिरी सभकेँ ई हमर प्रणाम छै